Saturday, February 27, 2010

praan gayatri mantra


प्राण गायत्री मंत्र
ॐ सोऽहं से मार्ग पाया, कैलाश मे महादेव पार्वती जी ने किया निवासा, प्राण गायत्री का भया प्रकाशा, ॐ गुरूजी कौन पुरुष ने बाँधी काया, कौन डोर से हंसा आया, कौन कमल ने संसार रचाया, कौन कमल से जीव का वासा, कौन कमल मे निरंजन निराई, कौन कमल मे फ़िरी दुहाई, कहो सिद्ध असंख्य युग की बात, नहीं तो धरो सब ठाट-बाट, ॐ गुरूजी अलख पुरुष ने बाँधी काया, कमल से संसार रचाया, ह्रदय कमल मे जीव का वासा, कुञ्ज कमल मे निरंजन निराई, त्रिकुट महल मे फ़िरी दुहाई, कौन के हम शिष्य हैं, कौन हमारा नाम, कौन हमारा इष्ट है, कौन हमारा गाँव, शब्द के हम शिष्य हैं, सोऽहं हमारा नाम, प्राण हमारा इष्ट है, काया हमारा गाँव, ॐ सोऽहं हंसाय विद्महे, प्राण प्राणाय धीमहि, तन्नो ज्योति स्वरूप प्रचोदयात. इतना प्राण गायत्री मंत्र सम्पूरण भया, श्रीनाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश.

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